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Auli - A Beautiful Tourist Place of Uttrakhand

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Auli औली - एक सुंदर  पर्यटन स्थल - Auli उत्तराखंड के चमोली जनपद  में शीतकालीन पर्यटन स्थलों के रूप में  प्रसिद्ध है।  यह अपने मनहोरी मखमली बुग्याली घास तथा शीतकालीन साहसिक खेल हिमक्रीड़ा (Snowgames) के लिए विश्व प्रसिद्ध है।  ग्रीष्म ऋतू में बुग्याली घास एवं शीत ऋतू में बर्फ से आच्छादित रहता है।  Auli औली  में पर्यटको की सुविधा हेतु अक्टूबर 1993 में  जोशीमठ बाजार से औली तक 4 .5 किलोमीटर लंबा रोपवे निर्मित किया गया है।  औली (Auli) में जनवरी 2011  प्रथम दक्षिण एशिआई शीतकालीन (1st South Asian Winter Games) का आयोजन किया गया था।  औली  में पर्यटको हेतु 2 किलोमीटर लम्बी चीयरलिफ़्ट निर्मित की गयी है।  Auli (औली ) कैसे पहुंचे ? औली का निकटम बस स्टेसन जोशीमठ है।  आप स्वंयम के वाहन से भी औली तक जा सकते हैं।  निकटमत एयरपोर्ट औली से 270 किलोमीटर जोलीग्रांट है, औली  के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी - औली में खाने पीने एवं रहने के लिए बेस्ट होटल उपलब्ध हैं।  यंहा पर पार्टी करने हेतु एक शराब बार (wine bar ) भी उपलब्ध...

History Of Gopesehwar Chamoli

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चमोली  (Chamoli) और गोपेश्वर (Gopeshwar) इतिहास के अधिकांश भाग में पृथक कस्बे रहे हैं। चमोली अलकनंदा नदी के किनारे अपनी स्थिति के कारण बद्रीनाथ या त्रा का एक मुख्य पड़ाव था, जबकि गोपेश्वर नौवीं शताब्दी में निर्मित गोपीनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द बसा एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल था। शेष गढ़वाल की तरह ही यहाँ भी प्राचीनकाल में कत्यूरी राजवंश का शासन था. जिनकी राजधानी पहले जोशीमठ और फिर कार्तिकेयपुर (बैजनाथ) में थी। 11th शताब्दी में कत्यूरी साम्राज्य का विघटन हो गया, जिसके बाद सारा गढ़वाल 52 छोटे-छोटे ‘गढ़ों’ में विभाजित हो गया था।  823 ई. में बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा पर आये मालवा के राजकुमार कनकपाल ने चाँदपुर गढ़ी के मुखिया, राजा भानु प्रताप, की पुत्री से विवाह कर दहेज में गढ़ी का नेतृत्व प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने दूसरे गढ़ों पर आक्रमण कर अपने राज्य का विस्तार प्रारम्भ किया, और गढ़वाल राज्य की नींव रखी। धीरे-धीरे कनकपाल और उनकी आने वाली पीढ़ियाँ, जो परमार या पंवार वंश के नाम से विख्यात हुई, एक-एक कर सारे गढ़ जीत कर अपना राज्‍य बढ़ाती गयीं। इस तरह से सन्‌ 1358 तक सारा गढ़वाल क्षेत...

Bhavishya Badri - The Future Badrinath Dham, Visiting Place in Joshimath, Chamoli

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भविष्य बद्री (Bhavishya Badri)- Bhavidhya Badri भविष्य बदरी (Bavishya Badri) उत्तराखंड के जनपद चमोली मे स्थित है।  यह प्रसिद्व मंदिर जोशीमठ नामक स्थान से 18 किलोमीटर की दुरी पर नीति मलारी रोड की ओर सुभाई गांव मे स्तिथ है। इस मंदिर मैं भगवान के आधे आकृति की मूर्ति की पूजा होती है।  भविष्य बद्री पंच बद्री मैं एक बद्री हैं।  यह शानदार ट्रैक देवदार के  जंगलो के बीच  होते हुए, सफ़ेद पानी वाली नदी  धौलीगंगा के किनारे अत्यंत रोमांचकारी  है। भविष्य बद्री जाने का बेस्ट टाइम मार्च अप्रैल से अक्टूबर नवम्बर तक है। लोक मान्यता - कहा जाता है, की घोर कलयुग के आने पर बद्रीनाथ भगवान जो की बद्री विशाल लुप्त हो जायेंगे। एवं बद्रीनाथ मार्ग पर स्तिथ नर-नारायण पर्वत आपस मैं जुड़ जायेंगे, और बद्रीनाथ का रास्ता बंद हो जायेगा।  तब यह मूर्ति पूर्ण हो जाएगी। और भविष्य बद्री ही बद्री विशाल के रूप मैं पूजे जायेगें।  एक और लोक्मन्यात के अनुसार- भगवान विष्णु तिब्बत मैं निवास करते थे।  जंहा पर मीट मांस और शराब के सेवन के कारण वह स्थ...

Rudranath Temple : Chaturth Kedar Track

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Rudranath Temple ( रूद्रनाथ मंदिर) -  Rudranath Temple Rudranath रुद्रनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य  में गढ़वाल हिमालय के पहाड़ों में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक  प्रसिद  हिंदू मंदिर है। समुद्र तल से 2286   मीटर ( 11800 फीट ) की ऊंचाई पर स्थित ,  यह प्राकृतिक चट्टान मंदिर पर बना हुआ है।   यह मंदिर पंच केदार तीर्थयात्रा सर्किट में आने वाला चतुर्थ केदार के रूप मैं पितृ-तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हैं।    जिसमें गढ़वाल क्षेत्र के पाँच शिव मंदिर शामिल हैं।  सर्किट में अन्य मंदिरों में शामिल हैं- केदारनाथ,  तुंगनाथ ,  मद्धमहेश्वर , और कल्पेश्वर  है। यंहा पर भ गवान शिव के  रौद्र मुख  महादेव   के रूप में पूजा जाता है। य हां पर भगवान के मुख के दर्शन होते हैं   यात्रा  का  ट्रेक सगर गांव से शुरू होता है,  जो गोपेश्वर  से 03 किलोमीटर दूर है।   दूसरा ट्रेक  सिरोली  मंडल से शुरू होता   है। यह ...